Monday 23 December 2013

संबंधों के रेशे



संबंधों के रेशे
कुछ मुलायम कुछ चुभते से
शून्य से हो के शुरू
नित नये समीकरणों से गुज़रते
पहुँचना चाहते थे
जहाँ हम दोनों हों समान हक़दार

संबंधों के रेशे
कुछ मुलायम कुछ चुभते से
सहेज कर पिरोते ताना-बाना
सरल से जटिल की ओर
बुनना चाहते थे बूटे
जिनमें रंग सभी हों चमकदार

संबंधों के रेशे
कुछ मुलायम कुछ चुभते से
अहम के आकड़ों में
रह गये उलझे ...घायल
टूटे ताने-बानों में
बिखरे बूटों को समेटते
रोज़ बदल रहे हैं
तुम्हारा और मेरा किरदार


16 comments:

  1. दोनों किरदार आपसी समझ से रहें तभी पनपते हैं संबंधों के रेशे ...

    ReplyDelete
  2. सुंदर अभिव्यक्ति,भावपूर्ण पंक्तियाँ ...!
    =======================
    RECENT POST -: हम पंछी थे एक डाल के.
    .....

    ReplyDelete
  3. बहुत ख़याल रख के अहं को कोई किरदार निभाने से रोक कर रखना होता है. अति सुन्दर.

    ReplyDelete
  4. जहीन और दिल को छुते एहसास

    ReplyDelete
  5. आज 28/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  6. सार्थक रचना शिखा जी
    बहुत बहुत आभार आपका !

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (29-12-2013) को "शक़ ना करो....रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1476" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    नव वर्ष की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    सादर...!!

    - ई॰ राहुल मिश्रा

    ReplyDelete
  8. समबन्ध ....अहम् के आंकड़ों में रह गए उलझे .....रोज बदलते हैं ,,,,मेरे और तुम्हारे किरदार. एक सार्थक रचना उलझे रिश्तों को बदलने की , सुलझाने की अभिव्यक्ति करती अच्छी रचना.

    ReplyDelete
  9. संबंधों के रेशे होते हैं बहुत मुलायम .. आसानी से चटक जाते हैं , सुन्दर प्रस्तुति ..

    ReplyDelete
  10. संबंधो का सुंदर शब्द रूप :) शुभकामनायें :)

    ReplyDelete
  11. भावपूर्ण अभिव्यक्ति ......

    ReplyDelete
  12. संबंधों के रेशे जुड़ते-तुड़ते ताने-बाने बुनते बस यूँ ही... टिके रहते हैं. सुन्दर रचना, बधाई.

    ReplyDelete
  13. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। संबंधों के रेशे सुलझ जाते हैं अक्सर समझदारी और संयम से।

    ReplyDelete
  14. waah..waah..adhbhud kavya lekhan hai aapka..rishton ka aisa tana-baanaa sabkuch apna sa lagta hai..bahut bahut badhai is anupam kriti ke liye.

    ReplyDelete