Wednesday 20 February 2013

तुम्हारी आवाज......

तुम्हारी आवाज......

मरघट सी मौन
अव्यथी ....असंपृक्त
हवाओं में गुनगुनाती
बस अपना ही राग
गुजरती रही हर बार
अनसुना कर
परिचित सा
.......आर्तनाद
ओढ़ाने चली आती है अब
अनावृत बिखरे सपनों को 
बेधडक निर्लज्ज सी
लिए खुरदुरा मटमैला
एक झीना सा ...मखमली टाट
मरघट की राख लपेटे
निरंकुश ...निष्ठुर
तुम्हारी आवाज

24 comments:

  1. bahut badhiya shikha kaam kr hi dala ...

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  2. dono hi kavitae bahut sunder hain khas kr ye tumhari aaaz ...mere lie to shabd hi kum hain kehne ko ki kitni achi hai
    blog bahut acha hai ...kuch kam baqi hai abhi

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    1. शुक्रिया रौनक ......बहुत जद्दो-जहद के बाद ब्लॉग बना पाई हूँ ....गूगल + पर एक एकाउंट बनाया था कुछ महीने पहले और उसे ही ब्लॉग मान कर बैठी थी ....पारुल से असलियत पता चली तो बहुत हंसी आई खुद पर ही .....
      आपने अपना कमेन्ट दे कर मेरा हौसला कितना बढा दिया है इसका बयां करना मुश्किल है .....आइन्दा भी आपका साथ मिलता रहेगा ...ऐसा मुझे विशवास है

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    2. kyu nahi kya koi shak hai isme ki sath hamesha rahega mera...bhool gai ham judwa hain ...shikha..

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  3. भावनाओं से ओत प्रोत हैं आप की कवितायें ....लेकिन ब्लॉग का address नहीं मिल रहा ..कुछ settings चंगे करनी पड़ेंगी आपको और गूगल से ज्वाइन करने वाला आप्शन भी डालिए ..शुक्रिया ..और मेरा thanx कहने की जरुरत नहीं है एक दुसरे से सीखना ही जिंदगी की प्रक्रिया है :-) और बचपन में पढ़ा था ज्ञान जितना बांटो उतना बढ़ता है तो ये मेरा फ़ायदा हुआ शिखा इसके लिए आपका शुक्रिया :-)

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    1. शुक्रिया डियर ..........
      कुछ समझ नहीं आ रहा कि ये दोनों आप्शन कैसे मिलेगें ...कई experiment कर चुकी हूँ :(

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  5. बहुत बहुत स्वागत है आपका इस नयी दुनिया में ,
    अनेकों शुभकामनायें |

    सादर

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  6. शुक्रिया आकाश ......आपको भी मेरी शुभ-कामनायें

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  7. आर्तनाद
    वो भी परिचत
    सोच में गहराई
    मरघट की खामोशी
    अच्छी रचना
    सादर
    यशोदा
    समय मिले
    तो इस जगह को
    विश्रामस्थली बनाएँ
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/
    http://yashoda4.blogspot.in/
    http://4yashoda.blogspot.in/
    http://yashoda04.blogspot.in/

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  8. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है ......
    सादर , आपकी बहतरीन प्रस्तुती

    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    पृथिवी (कौन सुनेगा मेरा दर्द ) ?

    ये कैसी मोहब्बत है

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  9. शिखा.... :)
    ---सब से पहेले तो ब्लॉगिंग शुरू करने के लिए बधाई.
    ब्लॉग का लेआउट आकर्षक है पर शायद यह थोडा सोबर हो तो बहेतर. ब्लॉग लेआउट के और भी ओप्शन है थोडा मगजमारी करो...मिल जायेंगे. दूसरी बात -मुझे लगता है की ब्लोगर का निजी प्रोफाइल होना चाहिए जो ब्लॉग से जुडा हुआ हो - न की गूगल+ वाला प्रोफाइल. अगेईन थोड़ी मगजमारी... :)

    - अब इस कविता के बारे में-
    यहां दूसरी बार पढ़ रहा हूँ- 'काव्यालय-फेसबुक'पर इसे पढ़ चूका हूँ....कुछ रचनाएं एसी होती है जिस पर प्रतिक्रिया देने से वो 'डिस्टर्ब' हो जायेगी... एसी भीति रहती है. यह उन रचनाओंमें से है...हालांकि मैंने फेसबुक पर प्रतिक्रिया दी थी -क्योंकि अगर वहाँ मैं यह लिखता तो शायद आप को लगता मैं 'स्मार्ट'पना देखा रहा हूँ...पर अब शायद अपना कुछ परिचय बढ़ा है और मेरी 'मासूमियत' पर आप को शुबह नहीं होगा....:)

    वेल, जोक्स अपार्ट- आई रिपीट कुछ रचनाएं अलग होती है -बिदाई लेती कन्या के पिता की नजरों में जमे धुंधलेपन, अर्थी उठाये हुए इंसान की आँखों में स्थापित निर्जनता, वृध्धाश्रम के विजिटिंग रेकोर्ड की रिक्तता, जिस्मानी करीबी के बीच पनपे फासले या फोन की न बजती घंटी के शोर के इकाई समान होती है - उसे आप महसूस कर सकते हो रिएक्ट करना बेमानी- बेअदब हो जाता है....
    - मैं कहूँगा की यह उन रचनाओं में से है-

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  10. बेहतरीन भावपूर्ण क्षणिकाएँ. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत. आपके ब्लॉग को ज्वाइन कर आरही हूँ . मेरे ब्लॉग पर भी पधारें.

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  11. सुन्दर शब्दों से पिरोई सुन्दर रचना। पहली बार आना हुआ आपके ब्लॉग पर। ब्लॉग-जगत में आने की शुभकामनाएं। आशा है ऐसी ढेरों रचनाएँ मिलेंगी आगे भी पढने को।

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  12. बहुत खूबसूरती से अभिव्यक्त भाव हैं. सुन्दर रचना.

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  13. बहुत ही सुन्दर रचना... एक और मित्र मिला मुझे.. मेरे ब्लॉग पर आने क् लिए शुक्रिया

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  14. बहुत बढ़िया
    सुन्दर भावपूर्ण
    सादर!

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  15. अच्छा लिखती हैं आप शिखा जी .....

    स्वागत है आपका .....!!

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  16. स्याही के बूटे कविता में अति-सुन्दर बेल बनें हैं !!
    शुभकामनायें !!

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  17. बेह्तरीन अभिव्यक्ति .शुभकामनायें.

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  18. ???.........main jivan chita ki lakadi..
    na jalee na raakh hui ...
    sulagtee rahi bas ...dhuaan dhuaan see...
    yadon ke sahare ..........

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  19. वाह अनावृत्त सपनों को जीर्ण शीर्ण मखमली ओढन सी तुम्हारी आवाज़................।

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